मंदिर निर्माण कला (TEMPLE ARCHITECTURE OF INDIA)

मंदिर निर्माण कला (TEMPLE ARCHITECTURE OF INDIA)

 

प्रमुख सभी कला

 

नागर शैली (NAGARA STYLE- NORTH INDIA)

नागर शैली के मंदिरों में 2 विशेषताए है :

• यह समतल वर्गाकार आकार में निर्मित है जिसके मध्य में कई क्रॉस की आकृति बनी हुए है|

• इसके उपरी सिरे में शिखर बने हुए है |.

 

 

 

 

प्रतिहार –उज्जैन (PRATHIHARAS- UJJAIN 8TH – 9TH CENTURIES AD)
• महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन जो 12 ज्योतिर्लिंगों मे से से 1 है|
• काल भैरव मंदिर उज्जैन जिसका उल्लेख स्कन्द पुराण में मिलता है|
• मंगल नाथ मंदिर जिसे मत्स्य पुराण के अनुसार मंगल गृह की जन्म स्थली भी मन जाता है|

पाल बंगाल(PALAS- BENGAL AND BIHAR 8th -13TH CENTURIES AD)
• नालंदा सबसे प्रमुख शिक्षा का केन्द्र था|जिसका प्रभाव विदेशो तक था|
• बंगाल और बिहार में पाल और सेन शासक ने उत्कृष्ट कार्य किये|

चंदेल(CHANDELAS- BUNDELKHAND 10TH -11TH CEN AD)
• चंदेल वंश सिर्फ इन मंदिर निर्माण के कारन प्रसिद्ध है |
• खजुराहो में कुल २२ मंदिर (जो संख्या में 85 थे) अपने आप में आश्चर्य है|
• खजुराहो के मंदिर का निर्माण 950-1050 AD के मध्य हुआ था |
• इन मंदिरों में सबसे बड़ा कंदरिया महादेव का मंदिर है जो खजुराहो में है |

द्रविड़ शैली (DRAVIDIAN STYLE – SOUTH INDIA)


 

 

 

 

 

 

 

द्रवीड शैली के मंदिर मुख्यतः 4 भागो में बटे है जो निम्न लिखित है|
• प्रमुख भाग को विमान कहते है जो मंदिर का मुख्या भाग है जो वर्गाकार होता है| इसकी छत पिरामिड आकार की होती है जिसमे 1 या उससे अधिक मंजिले हो सकती है| इसके भीतर बड़ा हिस्सा होता है जहा भगवान को रखा जाता है(गर्भगृह)|
• अगला हिस्से को मंडप जहा जाता है जिससे गर्भगृह में जाने के लिए दरवाजा होता है|
• गोपुरम जिससे मुक्य द्वार भी कहा जाता है ये मुख्यतः चतुर्भुजाकार होता है जिसके चारो तरफ छोटे छोटे मंदिर होते है |
• चौलतारिस या चावडी मुख्यतः सभा मंडप होता है जो विभिन्न कार्य के लिए उपयोग किया जाता था|
• ब्रिह्देश्वर मंदिर तंजावुर में इसका उदहारण है|

 

वेसर शैली (VESARA STYLE – DECCAN)-

• नागर शैली और द्रविध शैली की मिश्रित शैली को वेसर शैली कहा जाता है |
• इसके मुख्य उदाहरण होयसाल मंदिर जो बेलूर ,हालेबिदु और सोमनाथपुरा में स्थित है|

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