गुप्तकाल

गुप्तकाल

 

gupta age

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• गुप्तकाल को “स्वर्णकाल” के नाम से भी जानते है|
• विष्णु पुराण के अनुसार “गुप्त”, “वैश्य” सम्प्रदाय से थे|
• संस्थापक =श्रीगुप्त (अधिराज)|
• श्रीगुप्त (240-280 ईसवी) मगध का राजा था| “कुशानो” के सामंत थे |
• श्रीगुप्त का पुत्र घटोत्कच (280-319 ईसवी) था|

चन्द्रगुप्त-I (319-335 ईसवी)

• चन्द्रगुप्त – प्रथम घटोत्कच का पुत्र था, जिसने अपना शासनकाल 320 ईसवी से प्रारंभ किया|
• चन्द्रगुप्त – प्रथम ने लिच्छवी परिवार (जो कि मिथिला पर शासन करते थे) से वैवाहिक संबध बनाकर अपने सामराज्य को मजबूत बनाया|
• उसका विवाह लिच्छवी की राजकुमारी “कुमारादेवी” से हुआ| उसने इस अपार ताकत तथा वैभव से संपुर्ण गंगा की ऊपजाऊ घाटी पर अपने राज्य का विस्तार किया|
• अपने विवाह के बाद उसने विशेष सिक्के जारी किये, जोकि “चन्द्रगुप्त – प्रथम” तथा “कुमारादेवी दिवतीय” अंकित थे |
• उसे महधिराज कि उपाधी धारण हुई|
• उसने मगध, प्रयाग तथा साकेत तक शासन किया |

समुद्रगुप्त ( 335 – 365 ईसवी)

• भारत का नेपोलियन भी कहते है |गुप्तवंश का सबसे महान शासक
• इलाहाबाद के शिलालेख पर समुदगुप्त को “सौ युध्दों का नायक” कहा गया|
• समुद्रगुप्त के राजकवि हरिसेना ने इलाहाबाद के शिलासतंभ पर समुद्रगुप्त का गुनगाण किया है|
• वह कला का बहुत सम्मान करता था और उसने “कविराज” की उपाधि धारण थी|

चन्द्रगुप्त – दिव्तीय (380-413 ईसवी)

• चन्द्रगुप्त -II को विक्रमादित्य के नाम से भी जानते है, जिसने उज्जैन को अपनी दुसरी रजधानी बनाया था|
• पहला शासक जिसने चांदी के सिक्के जारी किये|
• उसके नवरत्न थे-

1. कालिदस – माहान कवि
2. अमरसिना – कोषाध्यक्ष
3. विटलभट्ट — जादुगर
4. धनवंतरी – चिकित्सक
5. वराहमिहिर—खगोलशास्त्री
6. वाराचि – व्याकरण करता
7. शंक – वास्तुकार
8. हरिसेना – राजकवि
9. शपंक– खगोलशास्त्री

  • चीनी यात्री फा-हेन ने इसी शासनकाल मे भारत यात्रा की

कुमारगुप्त-I

• इसे महेन्द्रादित्य के नाम से भी जाना जाता है|
• नलंदा विश्वविध्यालय का संसाथपक |
• वो भगवान कारतिकेय (जो कि भगवान शिव के पुत्र थे) की पुजा करता था|

स्कंदगुप्त (455-467 इसवी)

• स्कंदगुप्त ने सुदर्शन झील का पुनरुद्धार करवया| जिस झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य ने करवाया था ये गुजरात में स्थित है |

प्रशासन

• मौर्यों के विपरीत
• मंत्री परिषद अस्तित्व में आया
• वंशानुगत परम्परा का चलन
• साम्राज्य को चार प्रमुख भागों में बांटा
1. भुकुटि — प्रांतो के अध्यक्षों को उपरिका कहते थे (वायसराय)
2. विषयस — जिले का प्रमुख विश्पति कहलाता था
3. पेठ — उपजिला
4. ग्रामीका या महत्तर — गांव
• बड़ी नोकरशाही परंपरा को ख़त्म किया|
• ‘कुमारमत्स्य’ राजा द्वारा नियूक्त महत्वपूर्ण पद था|
• राज्य के बड़े हिस्से मे सामंत द्वारा शासन किया जाता था|
• पहली बार सिविल तथा अपराधिक कानूनों को परिभाषित किय गया
• चांदी के सिक्को को ‘रुपयक’ तथा सोने के सिक्को को ‘दिन्नार’ कहा जाता था, जोकि बड़ी मात्रा मे जारी किये गये|

सामाजिक स्थिति

• समाज मे वर्ण प्रणाली
• ब्राह्मणों को टैक्स फ्री (कररहित) जमीन
• ‘भूमिआग्रह’ के नाम पर धार्मिक समारोह मे टैक्स फ्री ज़मीन दी गयी |
• देवी कि पूजा होती थी परन्तु महिलाओ कि स्थिति ठीक नहीं थी|
• गुप्तकाल मे ही सती प्रथा का पहला मामला मध्यप्रदेश मे 510 इसवी मे मिला|
• अस्पृश्यता वृद्धि की गई थी|

धर्म

• भगवत गीता इस समय के दौरान लिखी गयी|
• बौद्ध धर्म में गिरावट आयी|
• मूर्तिपूजा मे का प्रसार हुआ|
• ईंट मंदिर भीतरगाव (कानपुर) गुप्त काल से संबधित है|

कला

• मंदिरों मे मूर्तिकला का विकास हुआ|
• समुद्रगुप्त वीणा के साथ मे चांदी के सिक्को मे उपस्थित थे|
• गुप्तकाल मे ही मथुरा स्कूल बना|
• सारनाथ मे बुद्ध अपनी धर्मं चक्र मुद्रा मे बैठे हुए मूर्ति का निर्माण हुआ
• बामियान कि बुद्ध प्रतिमा भी इसी काल से संबधितहै; जिसे बाद मे तालिबानियोंतबीबन ने नष्ट किया|
• अजंता व बाघ गुफाओ की कला बुद्ध कला भी इसी काल से सम्बंधित है|
• हिन्दुओ के प्रमुख देवता शिव और विष्णु के चित्र भी इसी समय प्रचलित हुए|

साहित्य

साहित्य जो इस अवधि में लिखा गया था
अ. कालिदास
१. अभिज्ञानशाकुन्तलम
२. ऋतुसंहार
३. मेघदुतम
४. कुमारसंभवम
५. मालिविकाग्निमित्रम
६. रघुवंश
ब. शूद्रक
१. मिर्चकातिकम
२. भारवि
३. दंडी
. भाष ने ११ नाटको को लिखा जिसमे ‘चारुदत्त’ सबसे प्रसिद्ध (अभिनेत्री रेखा कि उत्सव भी इसी पर आधारित है|
द. विशाक दत्त
१. मुद्रारक्षक
२. देवी चन्द्रगुप्त
य. विष्णु शर्मा
१. पंचतंत्र
२. हितोपदेश
• पाणिनी तथा पतंजलि के आधार पर संस्कृत का विकास किया|
• सबसे महत्वपूर्ण “अमरकोश” को “अमरसिंह” ने लिखा|
• चौथी सदी मे ही रामायण तथा महाभारत को पूरा किया गया|
विज्ञान और तकनीक
• अत्यधिक विकसित थी|
• आंतरिक अंगों का प्रत्यारोपण गुप्तकाल कि प्रमुख उपलब्धि |
• शल्यचिकत्सा (सर्जरी) के जनक सुश्रुत भि इस काल से संबधित |
• प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरि भि इसी काल से संबधित थे|
• गणितज्ञ आर्यभट ने ‘सुर्यसन्हिता’ व ‘आर्यभट्टिया’ भी इसी काल मे लिखी|
• साइन कोण व बीजगणित (अलजेब्रा) कि मदद से पाई की गणना|
• सौर तथा चन्द्र ग्रहण के कारण कि खोज|
• वराहमिहिर ने “पञ्चसिद्धन्तिका” व “व्रहंतसंहति” भी इसी काल मे लिखी|
• वाघभट्ट (प्रसिद्ध भौतिकवादी) तथा ब्रह्मगुप्त (प्रसिद्ध गणितज्ञ) भि इस काल से सम्बन्धित थे|
नोट- अदालत की भाषा संस्कृत थी|

written by Sandeep Swaner

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