मगध और मौर्य साम्राज्य
मगध और मौर्य साम्राज्य
अवधि – 6थी शताब्दी ई.पू से 4थी शताब्दी ई.पू .
मगध के शक्तिशाली होने का कारन वहा की भौगोलिक स्तिथि थी क्यों की वहा प्रचुर मात्रा में अच्छे किस्म के लोहे का होना, जिससे उच्च किस्म के हथियार बनाये गए थे |
गंगा नदी के किनारे होने कारन वहा अच्छी उपजाउ जमीन थी |
हर्यक वंश (545-412 ई.पू)
इस वंश की स्थापना बिम्बसार के दादा ने की थी परन्तु वास्तविक संस्थापक बिम्बसार को माना जाता है |
इस वंश को पित्र हन्ता वंश भी कहा जाता था |
बिम्बसार (544 BC to 492 B.C)-
बुद्ध के समकालिक थे |
इनकी राजधानी राजग्रिही थी |
इन्होने वैवाहिक सम्बन्धो से अपनी स्थिति मजबूत की |
अजातशत्रु ने बिम्बसार का वध किया जो उसी का पुत्र था |
अजातशत्रु (493-460 B.C)
बिम्बसार का पुत्र था तथा उसकी हत्या कर सिहासन पर विराजा था |
बुद्ध की मृतु इन्ही के शासन काल में हुई|
प्रथम बौध संगीति इन्ही के शासन काल में हुई|
इनके पुत्र ने उदायिन की हत्या कर सिहासन पर बैठा |
उदायिन (460-444 B.C)
उदायिन ने पाटलिपुत्र नमक नयी राजधानी बनायी |
ये गंगा के तट पर स्थित थी |
शिशुनाग वंश
शिशुनाग (412 B.C – 394 B.C)
शिशु नाग उदायिन का मंत्री था तथा इस वंश का संस्थापक भी था |
इसने वैशाली को अपनी राजधानी बनाया |
कालाशोक (394 to 366 B.C)
इसने पुनः अपनी राजधानी पत्लिउत्र को बनाया |
2nd बौध संगीति इन्ही के शासन काल में हुए |
इस वंश का अंतिम शासक नन्दिवर्धन था |
नन्द वंश (344 to 322 B.C)
इस वंश का संस्थापक महापद्म नन्द था |
धनानंद महापद्म नन्द का पुत्र था |
सिकंदर के भारत पर आक्रमण के समय धनानंद ही मगध का शासक था |
चन्द्रगुप्त मौर्य ने धनानंद को मार कर मौर्य वंद की स्थापना की |
सिकंदर का आक्रमण
सिकंदर का जन्म मेसिडोनिया(ग्रीस) में हुआ था उनके पिता फिलिप थे
सिकंदर ने भारत पर 326 ई.पू में आक्रमण किया था |
सिकंदर का सामना भारत में सबसे पहले पंजाब प्रान्त के राजा पोरस से हुआ था यह युद्ध झेलम नदी के किनारे लड़ा गया था इसे हयदापस का युद्ध के नाम से जाना जाता है |
सिकंदर भारत में 19 महीने रहा था
उसकी मृत्यु 323 ई.पू में बेबीलोन में हुए थी |
मौर्य साम्राज्य (322 TO 185 B.C)
चन्द्रगुप्त मौर्य (322 to 298 B.C)
इसे संद्रोकोटस के नाम से भी जाना जाता है |
इन्होने 305 ई.पू में सेलुकस निकेटर को युद्ध में परास्त किया|
सेलुकास निकेटर ने मेगस्थेनिस नामक राजदूत चंद्द्रगुत मौर्य के दरबार में भेजा था |
मेगास्थिनिस ने अपनी किताब “इंडिका” में इस साम्राज्य के बारे में लिखा था |
कौटिल्य (चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधान मंत्री) ने “अर्थशात्र” नामक अपनी किताब में शासन के बारे में लिखा था |
वे जैन धर्म के उपासक थे |.
बिन्दुसार(298 to 269B.C)
बिन्दुसार ने अपने साम्राज्य की सीमा को सुदूर दक्षिण में मैसूर तक विस्तार किया |
बिंदुसार को “अमित्रघात” नाम से भी जाना जाता था |
आजिवाको को संरक्षण दिया |
अशोका (269 to 232 B.C)
बौध ग्रन्थ “दिपसंभव” के अनुसार अशोका ने अपने 99 भाइयो का वध करके सिहासन प्राप्त किया था |
अशोका कोमसकी अभिलेख में “बुद्धाशाक्य” ,सारनाथ अभिलेख में “धर्माशोक” तथा “देवानाम प्रिय” और “प्रियदर्शी” के नाम से भी जाना जाता था |
राधा गुप्त जो बिंदुसार के मंत्री थे अशोका की सिहासन पाने में मदत की थी |
अशोका के काल में मौर्य साम्रज्य अपने चरम पे थे |
पहली बार लगभग पुरा उपमहाद्वीप 1 साम्राज्य में आया था |
अशोका ने 261 ई.पू में कलिंग युद्ध लड़ा था जिसमे भारी मात्र में नरसंहार हुआ था |
इस युद्ध के पश्चात अशोका का हृदय परिवर्तित हो गया |
इस युद्ध के पश्चात भेरिघोष (युद्ध काल का घोष) को धम्मघोष में परिवर्तित कर दिया|
अशोक का धम्म-
जनता के विकास के लिए और ब्राम्हण व बौध संतो के समाज में समानता लेन के लिए किया गया कार्य था |
उसका मानना था की जनता अच्छा व्यवहार करे टो स्वर्ग की प्राप्ती हो सकती है जिसे बाध धर्म में निर्वाण नाम से जाना जाता है |
साम्राज्य का विस्तार
पुरा सामराज्य संभवतः 5 भागो में बटा हुआ था |
उत्तरी क्षेत्र उत्तरपथ कहलाता था जिसकी राजधानी तक्षिला थी |
पश्चिमी क्षेत्र अवन्तिपथ कहलाता था जिसकी राजधानी उज्जैनी थी |
पूर्वी क्षेत्र प्रच्यापथ कहलाता था जिसकी राजधानी तोषला (कलिंग) थी |
मध्य क्षेत्र मगध कहलाता था जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी यह सारे साम्राज्य का केंद्र भी था | यह जानकारी अर्थशात्र से प्राप्त है |
सेना
मौर्य साम्राज्य बड़ी संख्या में सैनिक रखते थे |तथा जल सेना भी थी |
मेगास्थिनिज के अनुसार मौर्य सेना का प्रशासन 30 अधिकारियो के हाथ में था जिनको 6 अलग अलग समितियों में बता गया था हर समिति में 5 सदस्य थे
सेना में -1) सैनिक 2)घुड़सवार 3)हाथी सवार4) रथ 5)जल सैनिक 6)पैदल सैनिक थे |
आर्थिक गतिविधि पर राज्य का नियंत्रण होता था |
कर लेने की प्रथा प्रचलित थी कट ¼ से 1/6 तक लिया जाता था
मौर्य प्रशासन
राजा
मौर्य प्रशासन केंद्रीकृत था यहाँ राजा ही सर्व पारी होता था |.
मंत्री परिषद
राजा की सहयता के लिए निम्न लिखित थे –
(i) युवराज
(ii) पुरोहित
(iii) सेनापति
गुप्तचर संस्था को “संस्था” और “संचारी” ना से जाना जाता था |
सामजिक दशा
मेगास्थिनिज के अनुसार समाजग 7 भागो में बड़ा हुआ था जीने –1)दार्शनिक 2)किसान 3)अहीर 4)कारीगर 5)सैनिक 6)निरीक्षक 7)सभासद
दास प्रथा प्रचलित नही थी
शुद्रो की स्थिति में सुधर हुआ था वे अब भूमि खरीद सकते थे |
कला
मौर्य काल में पत्थर से निर्मित भवन का निर्माण शुरु हुआ
पटना के निकट कुमारहार से 80 स्तंब वाला सभाग्रह प्राप्त हुआ है |
स्तंभ 1 ही पत्थर से निर्मित है जो मौर्य कला का उत्कृत नमूना है |.
सारनाथ का स्तंभ भी उत्कृष्ट कला का नमूना है |
बराबर में निर्मित गुफाये मौर्य काल की है जो संतो के लिए बने गयी है |
बड़ी संख्या में स्तुपो का निर्माण किया गया था .
आदि कला संबंधित कला एवं संस्कृति वाले article पुरा करेंगे |
मौर्या साम्राज्य का अंत –
मौर्या साम्राज्य के पतन के कारन निम्न लिखित थे :-
1. ब्राम्हणों का विरोध
2. वितीय संकट
3. दमनकारी नीतिया
4. कमजोर उत्तराधिकार
आदि ………………….