वैदिक काल
- वैदिक काल को क्रम के अनुसार दो भागो में बाटा गया है :-
- पूर्व वैदिक काल या ऋग्वेदिक काल (1500-1000 B.C.).
- उत्तर वैदिक काल (1000-600B.C.).
पूर्व वैदिक काल या ऋग्वेदिक काल (1500-1000 B.C.).
- इस काल की जानकारी हमे पुरातात्विक साक्ष के साथ साथ साहित्यिक साक्ष्य से मिलती है जिनमे ऋग्वेद प्रमुख है|
- ऋग्वेद और ईरानी साहित्य “अवेस्ता” में बहुत से खंड सामान है
भौगोलिक विस्तार –
- आर्य शुरू में पूर्वी अफगानिस्तान ,आधुनिक पाकिस्तान,पंजाब,तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसे |
- सर्व प्रतम वे सप्त सेंदव(सात नदियों का समूह सिन्धु उसकी सहायक 5 नदी तथा सरस्वती) में बसे|
राजनीतिक अवस्था –
- कबीले को “जन” कहा जाता था तथा इसके प्रमुख को “राजन” |
- राजन का पद वंशानुगत नही होता था बल्कि कुछ विशेष लोगो के समूह दरवार चुना जाता था |
- राजन युद्ध नेता होता था तथा जनता का रक्षक |
- राजन सभा समिति गण और विदथ के प्रति उत्तरदायी होता था |
- महिलाए गण और विदथ में भाग ले सकती थी |
- परिवार को कुल कहा जाता था तथा इसके प्रमुख को कुलप
- राजन की सहायता के लिए पुरोहित एवं सेनानी (सैन्य प्रमुख) होते थे |
- सैनिक पूर्ण कालिक नही होते थे |
- अर्यो की सेना विकसित थी तथा वे घोड़े वाला रथ का प्रोयोग करते थे |
- किसी प्रकार की कार व्यवस्था नही थी परन्तु जनता चाहे टो दे सकती थी जिससे “बाली” कहा जाता था .
सामाजिक जीवन –
- परिवार सबसे छोटे इकाई थी जो पितृसत्तात्मक थी|
- महिलाओ की स्तिथि बेहत थी तथा सामान अधिकार प्राप्त थे |.
- सामान्यत 1 विवाह का ही प्रचलन था |परन्तु कई स्थान पर बहुविवाह के भी साक्ष्य मिलते है|विधवा को अपने पति के भाई से विवाह की अनुमति थी |
- बाल विवाह का साक्ष्य नही मिलता |
- रिश्वत और दहेज़ प्रथा व्याप्त थी |
- शिक्षा मौखिक ही होती थी |.
- मनोरजन के लिए घुड दौड़ साधन था ,गहने दोनों पुरुष तथा महिलाए पहनती थी |.
- आर्यन मनुराजन ले लिए संगीत का भी सहारा लेते थे वे “विणा” “वन” तथा धुंधभी(ड्रम). बजाते थे |
- जुआ का भी प्रचालन था |
आर्थिक जीवन –
- आर्य हर कला में निपुण थे वे बड़ाई ,लोहार,कुम्भार आदि सभी काम जानते थे |
- अर्यो की अर्थव्यवस्था मिश्रित थी वे खेती के साथ साथ पशुपालन भी करते थे |
- पशुपालन उनका प्रमुख व्यवसाय था|
- युद्ध गायो के लिए होते थे तथा विनिमय के लिए भी आधार गाय ही थी|
- सोने के सिक्के भी प्रचलन में थे जिन्हें “निष्क” कहा जाता था |
- गोयुती= दुरी नापने को,गोपति = राजा, गोधुली = समय.
- वे लड़की तथा मिटटी से बने घरो में रहते थे |.
- प्रमुख फसल “जव” थी |.
धार्मिक जीवन –
- ऋग्वेद के अनुसार इस काल में 33 देवता थे ज्जिन्हे 3 भागो में बता गया था –
- आकाशीय देवता- वरुण,सूर्य,अदिति आदि|
- अन्तरिक्ष के देवता – इंद्र रूद्र मरुत आदि|
- पृथ्वी के देवता –अग्नि,सोम,पृथ्वी आदि|
- आर्य प्रमुखतः प्रकृति की पूजा किया करते थे |
- वे मंदिरों में पूजा नही किया करते थे इसके बजाये खुले में यज्ञ करते थे |
उत्तर वैदिक काल (1000-600B.C.)
भौगोलिक विस्तार –
- अर्यो ने इस काल में अपने क्षेत्र को विस्तार किया तथा पंजाब से लेकर गंगा यमुना के दोआब तक विस्तार कर लिया |
- शुरू में उन्होंने जला कर जंगल साफ़ किये तथा 1000 ई.पू से 800 ई.पू के मध्य लोहे से बने औजारों से
- जिससे कई शहर जैसे विदेशा ,कौशाम्भी ,काशी आदि का विकास हुआ |
राजनितिक संघठन —
- छोटे कबीले अब बड़े राज्यों में परिवर्तित हो गए थे |
- राजन अब सम्राट बन गए थे |
- सभा समिति की शक्तियों में कमी आई थी
- राजा का पद अब वाशानुगत हो गया था |
- महिलाओ की स्थिथि में भी काफी गिरावट आई थी |.
- राष्ट्र. शब्द यही से उपयोग में आया था |
- राजा स्थायी सेना रखने लगे थे |
- राजकीय कार्य में राजा की सहायता के लिए अब पुरोहित ,सेनापति,सुत्त,संग्रहीता,भागदुगा आदि पद बन गए थे |
सामाजिक जीवन –
- वर्ण व्यवस्था समाज में आ गयी गयी जिसमे समाज 4 वर्ण में विभक्त हो गया था
- ब्राम्हण,क्षत्रिय,वेश्य,और शुद्र|
- महिलाओ की स्थिति धीरे धीरे ख़राब होते जा रही थी |
- इस काल में मनोरंजन का प्रमुख साधन घोड़ दौड़ तथा जुआ बन गए थे |
- वर्ण व्यवस्था अत्यंत कठोर हो गयी थी जिसके चलते शुद्रो की सितिथि काफी ख़राब हो गयी थी|
- पुरुष जीवन 4 आश्रमों में विभक्त हो गया था –ब्रम्चार्य,ग्रहस्त,सन्यास,वानप्रस्त|
विवाह के प्रकार –
- ब्रम्ह –अपने ही सामान जाती में विवाह|
- दैव– देव दासी बना देना|
- अनुलोम– अपने से उचे वर्ण में पुरुष द्वारा निम्न वर्ण की महिला से विवाह करना
- प्रतिलोम-उच्च वरना की महिला का निम्न वर्ण के पुरुष से विवाह .
आर्थिक स्तिथि –
- निष्क ने गाय का स्थान ले लिया था तथा विनिमय अब निष्क से होता था |
- ऋग्वेद में सोने तम्बा तथा कासे के सिक्को उपयोग बताया गया था परन्तु उत्तर वैदिक काल में सीसा चांदी तथा लोहे की सिक्को का उपयोग होने लगा था |
धार्मिक जीवन –
- कर्मकांड अंत्यंत बडगए थे|
- प्रजापति प्रमुख देवता बन गए थे तथा विष्णु को संरक्षक का दर्जा मिल गया था|
वैदिक कालीन साहित्य –
- वेद का अर्थ है ज्ञान |
- चार वेद तथा वेद संहिताओ में बाते हुए है |
ऋग्वेद–
- विश्व का प्राचीन ग्रन्थ है
- इसके तृतीय मंडल में गायत्री मंत्र लिखा गया है
सामवेद –
- यह गाये जा सकने वाले वेद है |.
- ध्रुपद राग इसी में लिखी गयी है जो सबसे प्राचीन राग है |
यजुर्वेद–
- यह बलि देने के तरीके को संगृहीत किये हुए है |.
अथर्व वेद–
- यह तीनो वेदों से भिन्न है |
- इसके अनुसार राजा को ब्राम्हणों का रक्षक बाते गया है |
ब्राम्हण
- हर वेद आगे कई ब्राम्हणों से जुड़े हुए है |
- इसमें प्रमुख सत्पद ब्राम्हण है जो यजुर्वेद से जुदा हुआ है |.
अरण्यक —
- इसे वन्य साहित्य भी कहा जाता है |
- इसमें ब्राम्हणों के उपसहार है
- इसमें कर्म कांड जैसे बलि का विरोध किया हुआ है |
- इसमें कर्म मार्ग को ही ज्ञान का मार्ग बताया गया है|
उपनिषद—
- इसे वेदांत भी कहा गया है |क्यों की वैदिक काल के अंत में लिखे गए थे |
- यह भारतीय दर्शन के प्रमुख स्त्रोत है |.
- इनकी संक्या 108 है .
- कर्म का सिद्धात के बारे में इसमें लिखा गया है
- मुन्डूप उपनिषद में”सत्य में विजयते” लिखा गया है|
स्मृति —
- वैदिक नियम कायदे लिखे गए है|
- मनु स्मृति नारद स्मृति इसमें प्रमुख है |
वेदांग –
- इनकी संक्या 6 है – शिक्षा,कल्प(कर्मकांड), व्याकरण,निरुक्ता,छंद,ज्योतिष
महाकाव्य –
रामायण= वाल्मीकि
महाभारत-वेदव्यास