संगम काल

संगम काल

 

sangam age

 

  • 1st शताब्दी ई.पू से 2nd शताब्दी ईसा तक के काल के दक्षिण भारत के इतिहास को संगम काल कहा जाता है | संगम साहित्य के कारण इस काल को संगम काल के नाम से जाना जाता है|
  • तमिल दन्त कथा के अनुसार संगम काल (कवियों) का संगम था जिसे मुच्चंगम के नाम से भी जाना जाता है |जिसे मदुरै के पांडे वंश ने संरक्षण दिया|
  • पहला संगम मदुरै में हुआ था ऐसा माना जाता है जिसका कोई भी साहित्य उपस्थित नही है|
  • द्वितीय संगम कपडपुरम में हुआ था|तोल्कापियम साहित्य की उत्पत्ति यही से हुई|
  • तीसरा संगम मदुरै में हुआ | जिसमे कुछ साहित्य का समागम हुआ जो इस काल के प्रमुख स्त्रोत है|

संगम साहित्य

  • मुख्य संगम साहित्य –तोल्कापियम,इटुतोगई,पट्टूपट्टू आदि है|
  • तोल्कापियम के लेखक तोल्कापियार थे| जिन्हें शुरुआती तमिल साहित्येकर मन जाता है|

संगम काल की जानकारी के अन्य स्त्रोत

  • मेगास्थेनेस ने भी इसके बारे में लिखा था |आदि कई विदेशी लेखको ने इसके बारे में लिखा था |
  • अशोक के शीला लेखो में भी चेर ,चोल और पाण्डेय वंश का मौर्या के दक्षिण में होने की बात लिखी गयी है |
  • हाथी गुम्फा अभिलेख में भी कलिंग के खारवेल ने तमिल राज्यों का वर्णन किया है |

संगम काल में राज्यों की स्थिति:

  • दक्षिण में कृष्णा नदी से लेकर तुंगभद्रा तक के क्षत्रे को दक्षिण भारत संगम काल में कहा जाता था |यहाँ तीन राज्य थे –चेर,चोल,पांडे
  • इसकी जानकारी संगम साहित्यों से प्राप्त होती है|

चेर:

  • चेर साम्राज्य आधुनिक केरल तथा मालाबार के तट के आस पास फैला था |
  • चेरो के राजधानी वनजी थी और दो मुक्य पतन तोंडी तथा मुसिरी थे|
  • ये पहले शासक थे जिन्होंने दक्षिण भारत से चीन राजदूत भेजा था |

चोल:

  • इनका भौगोलिक विस्तार उत्तरी तमिलनाडू से दक्षिणी अन्द्रप्रदेश तक था |
  • इनकी राजधानी उरैयुर थी जो बाद में परिवर्तित कर पुहर(तंजौर) हुई|
  • संगम काल में करिकला प्रसिद्ध चोल शासक था |
  • उसके काल में व्यापार फुला फला|

पांडे:

  • इनका शासन दक्षिणी तमिलनाडु में था |
  • इसकी राजधानी मदुरै थी|
  • इनका प्रसिद्ध पतन कोर्कई था|

 

संगम काल का प्रशासन:

  • इस काल में राजा का पद वंशानुगत होता था|
  • प्रत्येक राज्य का अपना राजकीय चिन्ह था|
  • राजा की सहयता के लिए मंत्री गण होते थे |
  • प्रत्येक राज्य की स्थाई सेना थी|
  • राज्य की प्रमुख आय का स्त्रोत भूमि कर था | तथा सीमा शुल्क भी लिया जाता था|

सामजिक स्थिति

  • संगम साहित्य में समाज की स्तिथि के साथ महिलाओ की स्थिति को भी लिखा गया है|
  • प्रेम विवाह का प्रचलन था तथा महिलाओ को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार था|

आर्थिक स्थिति:

  • कृषि प्रमुख व्यवसाय था| चावल सबसे अधिक उपयोग होने वाला अन्न|
  • इस काल में समस्त कला जैसे – कड़ाई,बुनाई,लोहे के काम,लड़की के काम ,जेवरात बनाने के कारीगर विकसित थे|
  • इस काल में सामान को निर्यात भी किया जाता था |
  • कपास से बने कपडे इनमे प्रमुख थे |
  • इसके साथ साथ मसालों का व्यापर भी उत्कृष्ट था |

 

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