मौर्योत्तर काल
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- मौर्या साम्राज्य के पतन के बाद कई सारे राज्य अस्तित्व में आये ये मौर्यों से भिन्न थे –
1. शुंग वंश – विदेशा (म.प्र)|
2. कण्व वंश- पाटलिपुत्र
3. हिन्द उव्नानी शासक- उत्तर पश्चिमी क्षेत्र |
4. सातवाहन- डेक्कन तथा मध्य भारत के क्षेत्र में |
5. छेदी वंश- ओड़िसा क्षेत्र में |(कलिंग)
शुंग वंश (185-73 ई.पू)
• यह ब्राम्हण वंश था जिसकी स्थापना पुष्यभूति शुंग ने की थी |
• पुष्यभूति शुंग अंतिम मौर्या शासक ब्रिहदत्त को मार कर शासक बना था वो ब्रिहदत्त का सेनापति थी |
• शुंगो ने अपनी राजधानी विदेशा को बनाया था |
• पुष्यभूति शुंग ने अश्वमेघ यज्ञ करवाया था |
• प्रसिद्ध व्याकरणकर्ता पतंजलि इन्ही के दरबारी थे |
• बारुत में स्थित स्तूप का निर्माण ईसी काल में हुआ था |
• भागवत धर्म मुक्य बन गया था |
• सची स्तूप के चारो तरफ रेलिंग शुंगो ने लगायी थी जबकि इसका निर्माण अशोक ने किया था |
• पुष्य के पश्चात उसके पुत्र अग्निमित्र ने शासन संभाला जो कालिदास के मल्विकनिमित्रम नाटक का नायक था |
• युवनानी राज दूत “हेरोडोटस” शुंगो के दरबार में आया था जिसने भगवन विष्णु के स्तुति में गरुड़ ध्वज बनवाया था |
• मनुस्मृति इसी काल में लिखी गयी थी |
• इस वंश का अंतिम शासक “देवभूति” था |
कण्व वंश (73 -28 ई.पू)
• देवभूति को मार कर वासुदेव कण्व ने कण्व वंश की स्थापना की |
• यह साम्रज्य मगध तक ही सिमित था |
• इस वंश के अंत कर सातवाहनो ने अपनी राज्य में मिला लिया |
• अंतिम शासक सुशर्मन था | जिसे सिमुख ने मार कर सातवाहन शासन की के कब्जे में लिया |
सातवाहन वंश: (60 B.C. to 225 A.D.)
• मौर्यों के बाद डेक्कन और मद्य भारत क्षेत्र में उनके सही उत्तराधिकारी हुए |
• इनकी राजधानी पैठण में थी जिसे प्रतिष्ठान के नाम से भी जाना जाता था |
• सातवाहनो का उदय आंध्र तथा महाराष्ट्र से मन जाता है |
• सिमुक ने इस वंश को स्थापना की थी |
• इस वंश का सबसे प्रतापी राजा शत्करनी था|जिसे गौतमी पुत्र शत्करनी के नाम से भी जाना जाता है |
• नासिक में मिले अभी लेख में शत्करणी ने अपनी माता गौतमी बेल्सारी को समर्पित किया है |
• “गथाछातिसी” इस वंश के शासक हल्ल ने लिखी थी जो प्राकृत भाषा में थी|
• पुलावामी-3 इस वंश का अंतिम शासक था |
• सातवाहनो के पश्चात वकाटको ने अंदर तथा महाराष्ट्र में शासन स्थापित किया|
• सातवाहनो ने ब्राम्हणों तथा बुद्ध संतो को कर रहित भूमि दान करना शुरू किया था |
• अमरावती और नगर्जुनाकोंड़ा में स्तूप के निर्माण करवाए|
• सातवाहनो के राजकीय भाषा प्राकृत थी|
• सातवाहनो ने अपने सिक्के चलवाए जो प्रमुखतः सीसा ,तम्बा,और कासे के थे |
छेदी वंश
• मौर्य वंश के पश्चात कलिंग क्षेत्र में छेदी वंश का उदय हुआ |(कलिंग वर्तमान ओड़िसा)
• इसकी राजधानी शिशुपाल गढ़ थी|
• इस वंश के शासको को खारवेल कहा गया |
• हाथीगुम्मा अभिलेख से ये जानकारी मिलती है की ये वंश जैन धर्म को संरक्षण देता था |
मध्य एशिया आक्रमण
युनानी>शक>पहलव>कुषाण
हिन्द यूनानी
• मौर्यकाल के बाद सबसे पहले आक्रमण करने वालो में ये सर्व प्रथम थे |
• ये बक्ट्रिया के रहने वाले थे |इनमे सबसे प्रतापी राजा मिनन्डर था जिसे मिलिंद के नाम से भी जाना जाता था|
• इनकी राजधानी सियालकोट थि|
• प्रसिद्ध बुद्ध ग्रन्थ मिलंदपन्हो में मिलिंद और बुद्ध संत नागार्जुन के संवाद का संग्रह है |
• नागसेन ने ही मिलिंद को बुद्ध धर्म की दिक्षा दी थी|
• इन लोगो ने बड़ी मात्रा सिक्के चलवाए थे |
• अंतिम राजा हेसत्रिअस था|
• इनलोगों ने सर्व प्रथम सोने के सिक्के चलवाए|
• डीमेत्रिअस ,सिखंदर के बाद आक्रमण करने वाला पहला यूनानी था |
शक
• शको को सिथियंस भी कहा जाता है इन्होने यूनानी की जगह ली|
• इनकी पांच शाखाये भारत आई थी जो अलग अलग क्षेत्र में बसी-
1. कपीसा (अफगानिस्तान)
2. तक्षिला(पाकिस्तान)
3. मथुरा(उत्तर प्रदेश)
4. उपरी डेक्कन
5. उज्जैन इन्होने 4th शताब्दी तक शासन किया|
• इनमे सबसे प्रमुख शासक रुद्रदमण(130-150 AD) था||ये अपने दरार किये गए सामजिक कार्यो के भी प्रसिद्ध था |
• इसने सुदर्शन झील (गुजरात) का पुर्नर उध्धार किया | जिसका निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्या ने करवाया था |
• इसकी जानकारी जुनागड अभीलेख से मिलती है |
• अन्य शक शासक नहापना,उशव्देव,आदि थे |
• 58 ई.पू में उज्जैन के शासक विक्रमादित्य ने शको को हराया जिसके उपलक्ष्य में विक्रम संवत नमक नए केलिन्डर को लागु किया |
पहलव
• इन्हें पार्थियन भी कहा जाता है ये ईरान के रहने वाले थे |
• इन्होने उत्तरी क्षेत्र में शको का स्थान लिया |
• इनका राज्य छोटा था |
• इनमे प्रसिद्ध राजा गोदनिफेरस था जिसके काल में st थॉमस इसाई धर्म का प्रचार करने भारत आये थे |
• पहलव ने मुक्य रूप से ताम्बे के सिक्के चलवाए |
कुषाण
• ये मध्य एशिया से आये थे ये युची कबीले के थे |
• इन्होने उत्तर पश्चमी क्षेत्र में पह्लावो का स्थान लिया |
• कुषाण ने प्रसिद्ध सिल्क मार्ग पर नियंत्रण रखा|
• इस वंश की स्थापना कुजुल कदफिसेस ने की थी |
• कुषाण लोगो ने बड़ी मात्रा में सोने के सिक्के चलवाए |.
• प्रसिद्ध शासक कनिष्क था (78AD-101AD) इसे दूसरा अशोक भी कहा जाता था|
• इसने 78 AD में नया कैलेंडर शक संवत चलवाया| जो भारत सरकार का वर्तमान में अधिकारिक कैलेंडर है |
• कनिष्क ने अपना साम्राज्य काफी बड़ी सीमा में फैलाया |
• इनकी राजधानी पेशावर थी|
• कनिष्क के काल में ही 4TH बुद्ध संगीति हुई थी |
• कनिष्क का सर रहित मूर्ती मथुरा से प्राप्त हुआ है |
• इस वंश का अंतिम प्रतापी शासक वासुदेव -1 था |