भारतीय वास्तुकला एवं स्तूप
सिन्धु घाटी सभ्यता
- हड़प्पा काल के लोग कुशल निर्माता थे|वे अपने शहर की योजना के लिए जाने जाते है|
- मुहरे(seals)-सामान्यतः ये नरम पत्थर से बनायीं जाती थी| जिन्हें steatite कहा जाता है|
- इन मुहरो में विभिन्न चिन्ह जैसे-स्वास्तिक आदि शामिल थे|सबसे प्रमुख मुहर पशुपति शिव की प्राप्त हुई है जो महेंजोदारो से मिली है |
- हड्डपा कालीन मुहरे सामान्यतः चित्रात्मक होती थी|
- मातृत्व देवी की मूर्ति इनमे से प्रमुख थी जो मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए है|
- कासे की नृतकी की मूर्ति जो मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए है उस काल में मूर्ति कला विकसित होने का साक्ष्य है
मौर्य काल
- अशोक पहला मौर्य शासक था जिसने पत्थर से निर्माण शुरू किया|
- अधिकतम निर्माण में भारतीय कला का प्रभाव तथा कुछ में युवनानी प्रभाव दिखता है|
- इसी काल से बौध वास्तुकला का भी प्रारंभ हुआ|
- अशोक के द्वारा बनवाए गए शीला लेख और अभिलेख इस काल में प्रमुख थे| .
- इस काल में बने शेरो की मूर्त भी काफी प्रसिद्ध है|.
- सारनाथ स्तंभ इस काल की कला का प्रमुख उदहारण है| इस स्तंभ से लिया गया चिन्ह आज भारत का अधिकारिक चिन्ह है|
- अशोक के 2 स्तंभ लेख लघमान ,जलालाबाद(अफगानिस्तान) से प्राप्त हुए है|
- मेगस्थिनेस जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था उसने भी मौर्य कला को उत्कृष्ट बताया है|
- अशोक के निर्माण में प्रमुख थे स्तूप इनमे प्रमुख निम्न लिखित है-
स्तूप
साँची स्तूप:
- यह मध्य प्रदेश में स्थित है |
- यह अर्धगोलाकार के आकार में निर्मित है|
- इसके निर्माण में लकड़ी का भी उपयोग किया गया है|
- इसके चारो तरफ रेलिंग लगाने का काम पुष्यमित्र सुंग ने करवाया था|
अमरावती स्तूप:
- इसका निर्माण साँची के निर्माण के बाद हुआ था|
- बाद के वर्षो में इसको हीनयान से महायान श्रेणी में परिवर्तित किया गया|
गंधार स्तूप:
- इस कला में बाद के समय में साँची तथा भरुत के स्तूप का विकास हुआ|
- इसके अंतर्गत गुम्मद ,अधर सभी का विकास हुआ|
- कृष्णा नदी के किनारे नागार्जुन कोंडा में स्तूप का निर्माण हुआ|
- माहा चैत्य जो नागार्जुन कोंडा में है इसी समय बना|