चोल साम्राज्य
Imperial of chola
- संगम काल के पश्यात चोल उरैयुर के सामंत बने | इन बाद में बने चोल लो “प्रतापी चोल” के नाम से भी जाना जाता है |क्यों की इनका साम्राज्य श्रीलंका तथा मलय प्रायद्वीप तक फैला था |
- मंदिरों से प्राप्त हज़ारो अभिलेखों में इनके प्रशासन ,समाज.आर्थिक तंत्र तथा संस्कृति के बारे लिखा गया है |
- विजायालय चोल जो उरैयुर से संबंधित थे इन्होने कावेरी के क्षेत्र में कब्ज़ा किया |
- विजायालय ने तंजौर शहर बसाया जिसमे दुर्गा मंदिर भी बनवाया|
- परान्तक-I चिदंबरम स्थित नटराज मंदिर बनवाया |
- चोल अपने प्रशासन के लिए प्रसिद्ध थे |.
राजाराज I
- इन्होने चेर तथा पांडे शासको को परस्त किया तथा अपने साम्राज्य का विस्तार तुंगभद्रा नदी तक किया|
- इन्होने जल सेना लेकर मालदीव पर भी अधिपत्य स्थापित किया|
- वे शैव धर्म के उपासक थे इसलिए कई शिव मंदिर बनवाए|
- राजराजेश्वर मंदिर जो वृधेश्वर मंदिर के नाम भी जाना जाता है तंजौर में इन्होने बनवाया|
- यह मंदिर UNESCO World Heritage Site में शामिल किया गया है|
राजेंद्र I
- ये अपने पिता के बाद गद्दी पर बैठा|
- इसने श्रीलंका के शासक महेंद्र 5th को हराकर पुरे सीलोन द्वीप पर राज किया|
- राजेंद्र I ने गंगा पर की तथा चोल साम्राज्य को मजबूत बनाया|
- इसने चोलागंगम में सिचाई के लिए तालाब बनाया|.
- इनके शासन में चोल साम्रज्य अपने शीर्ष पर था |
- राजेंद्र I शैव धर्म के उपासक थे इन्होने भगवान शिव का प्रसिद्ध नटराज मंदिर चिदंबरम में बनवाया|
चोल कला एवं वास्तुकला
- इनके साम्राज्य में द्रविध शैली अपने शीर्ष पर थी |
- चोल वास्तु कला में प्रमुख थे 5-7 मंजिला मंदिर जिस कला को “विमान” नाम से जाना जाता है तथा इनमे स्थित सपाट छत वाले सभाग्रह जिन्हें “मंडप” कहा जाता था |
- चोल साम्राज्य में मंडप का निर्माण जनता के लिए विभिन्न उत्सवो में भाग लेने के लिए बनाये जाते थे |
- वृधेश्वर मंदीर या राजेश्वर मंदिर जो तंजौर में स्तिथ है द्रविध शैली के सबसे प्रमुख उदाहरण है|
- कासे के कला कृति बनाने में ये लोग निपुण थे कासे से बनी “नटराज” की प्रसिद्ध है|
चोल प्रशासन
- ये अपने प्रशासन के लिए प्रसिद्ध थे
- इनका साम्राज्य 6 मंडलम में विभाजीत था जो उपराजा द्वरा प्रशासित किया जाता था|
- मंडलम को वल्नाडू ,वल्नाडू को नाडू ,नाडू को तनियर में विभाजीत किया गया था|
- “उर” एक प्रकार की ग्राम सभा थी| जिसके सदस्य सरे ग्रामीण बन सकते थे |
- स्थानीय निकाय की परिकल्पना यही से आई जिसे आज हम पंचायती राज के रूप में जानते है |