चालुक्य राजवंश
Chalukya
- चालुक्यों ने पश्चिमी दक्खन के क्षेत्र में 543 ईस्वी से 755 ईस्वी तक शासन किया।
- पुलकेशिन-I चालुक्य वंश के संस्थापक थे।
- चालुक्य छठवी से आठवी शताब्दी के दौरान डेक्कन में एक प्रमुख शक्ति बने रहे।
पुलकेशिन-I
- पश्चिमी डेक्कन में एक छोटे से राज्य की स्थापना की , वातापी या (वर्तमान मे कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित) बादामी को अपनी राजधानी बनाया।
- उसने अश्वमेध यज्ञ का प्रदर्शन किया।
पुलकेशिन–II (608-642 ईस्वी)
- पुलकेशिन–II के दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा संस्कृत में रचित ऐहोल शिलालेख मे पुलकेशिन-II की प्रशंसा की है।
- उसने कदंब को बनवासी मे परास्त किया और उसके अधिपत्य को स्वीकार करने के लिए मैसूर के गंगों मजबूर है।
- पुलकेशिन-II ने नर्मदा डेक्कन में हर्षवर्धन की सेना को पराजित किया।
- वह पल्लव के साथ दो बार लड़े, अपने पहले अभियान में उसने राजा महेन्द्रवर्मन-I को हराया और उसके पास से कृष्णा-गोदावरी (बाद में इस क्षेत्र को वेंगी के रूप में जाना जाने लगा) क्षेत्र छीन लिया|
- पल्लव राजा नार्सिम्हावर्मन -II के साथ अपने दूसरे मुकाबले में वह कांची के पास हार गया था। नार्सिम्हावर्मन –II ने चालुक्य राजधानी वातापी पर कब्जा कर लिया।
- पुलकेशिन-II के शासनकाल के दौरान, चीनी विद्वान ह्वेनसांग चालुक्य साम्राज्य का दौरा किया।
विक्रमादित्य II:
- उसने पल्लवों की राजधानी कांची पर तीन बार हमला किया और पूरी तरह से पल्लव वंश से पराजित कर दिया|
कीर्तिवर्मन-II
- कीर्तिवर्मन-II चालुक्य वंश का अंतिम शासक था। वह दंतिदुर्ग जो कि राष्ट्रकूट राजवंश के संस्थापक थे, से हार गया था।
प्रशासन
- चालुक्य साम्राज्य पल्लव और चोलों के विपरीत एक अत्यधिक केंद्रीकृत प्रशासन था। किसी गांव मे स्वायत्तता नहीं थी|
- चालुक्यों के पास छोटी समुद्री सेना थी, परन्तु उसमे १०० जहाज थे|
- चालुक्य हिन्दू ब्राह्मण थे इसीलिए उन्होंने वैदिक रीती रिवाजों को महत्व दिया| फिर भी वो दुसरे धर्मो क सम्मान करते थे|
- ह्वेनसांग के अनुसार बोद्ध धर्म का पतन हुआ तथा जैन धर्म का विस्तार|
- पुलकेशिन–II के दरबारी कवि रविकीर्ति जिन्होंने संस्कृत में रचित ऐहोल शिलालेख लिखा वो जैन धर्म के अनुयायी थे।
कला और वास्तुकला
- उन्होंने वेसर शैली का विकास किया, जो कि राष्ट्रकूटो व होयसला के काल मे चरम पर था|
- अजंता, एलोरा, व नासिक कि गुफाओं का वास्तुकला भी इसी काल का उदाहरण है|
- चालुक्य पेंटिंग, बादामी गुफा मंदिर तथा अजंता गुफा (अजंता पेंटिंग में फारसी दूतावास के स्वागत को भी दर्शाया)
- चालुक्य वंश के ऐहोल मंदिर मंदिरों का शहर क्योंकि 70 मंदिर थे|
- लधखान मंदिर (सूर्य मंदिर) जो कि कम ऊचाई कि छत तथा खंबों वाले हॉल के लिए प्रसिद्ध|
- एक दुर्गा मंदिर जो कि बौद्ध चैत्य से मिलता-जुलता|
- होचीमालगुडी मंदिर|
- चालुक्य वंश के बादामी मंदिरों|
- मुक्तेश्वर मंदिर और मेलागुटी शिवालय, बादामी मे चार चट्टानों को काटकर बनाए गये मंदिर।
- चालुक्य वंश के पट्टकल मंदिरों पट्टकल में कुल दस मंदिर हैं।
- उत्तरी नगारा शैली में चार मंदिरों – पापनाथ मंदिर
- द्रविड़ शैली में छह मंदिरों –संगमेश्वर मंदिर, विरूपाक्ष मंदिर (यह कांचीपुरम के कैलाशनाथ मंदिर की तरह है)।